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Published on 29 June 2020
हमारी पुलिस की दुस्साहस की कोई सीमा नहीं. और यह दुस्साहस की सीमा भी पुलिस ही तोड़ती है. फिर नई-नई सीमा बनाती है. तमिलनाडु के तूतीकोरिन में जो हुआ है उसे देखने, समझने के लिए अमरिका जाना पड़े इससे दुख की बात कुछ नहीं हो सकती. किसी पर भी झूठी आतंकी धाराएं लगा देना, दस से बीस साल तक जेलों में सड़ा देना, फर्जी एनकाउंटर कर देना. इन सब कामों को हमारी पुलिस से बेहतर कोई नहीं कर सकता. और यह काम भी हमारी ही पुलिस बेहतर तरीके से करती है कि अपने एक अधिकारी देविंदर सिंह को दिल्ली में आतंकी धमाके करने की योजना बनाने के आरोप में गिरफ्तार करती है और एक साल बीत जाने के बाद भी चार्जशीट दायर नहीं कर पाती. और चार्जशीट नहीं दायर करने के कारण देविंदर सिंह को रिहा कर दिया जाता है. जमानत दे दी जाती है.